जाने क्या सोच के फिर इन को रिहाई दे दी By Sher << मैं अब तो ऐ जुनूँ तिरे हा... आदमी ही के बनाए हुए ज़िंद... >> जाने क्या सोच के फिर इन को रिहाई दे दी हम ने अब के भी परिंदों को तह-ए-दाम किया Share on: