ज़ेर-ए-ख़ंजर मैं तड़पता हूँ फ़क़त इस वास्ते By Sher << ले चली है जो दिल तो ज़ुल्... लाख हम शेर कहें लाख इबारत... >> ज़ेर-ए-ख़ंजर मैं तड़पता हूँ फ़क़त इस वास्ते ख़ून मेरा उड़ के दामन-गीर हो जल्लाद का Share on: