लाख हम शेर कहें लाख इबारत लिक्खें By Sher << ज़ेर-ए-ख़ंजर मैं तड़पता ह... ज़रा ज़रा सी शिकायत पे रू... >> लाख हम शेर कहें लाख इबारत लिक्खें बात वो है जो तिरे दिल में जगह पाती है Share on: