जस्त भरता हुआ फ़र्दा के दहाने की तरफ़ By Sher << कहने सुनने के लिए और बचा ... जब ख़ुदा भी नहीं था साथ म... >> जस्त भरता हुआ फ़र्दा के दहाने की तरफ़ जा निकलता हूँ किसी गुज़रे ज़माने की तरफ़ Share on: