ज़ुलेख़ा बे-ख़िरद आवारा लैला बद-मज़ा शीरीं By Sher << फ़लक से घूरती हैं मुझ को ... कहती है ऐ 'रियाज़'... >> ज़ुलेख़ा बे-ख़िरद आवारा लैला बद-मज़ा शीरीं सभी मजबूर हैं दिल से मोहब्बत आ ही जाती है Share on: