इक न इक दिन तो मुसख़्ख़र उस को होना है 'नदीम' By Sher << मैं उसे सुब्ह न जानूँ जो ... चाँद में दरवेश है जुगनू म... >> इक न इक दिन तो मुसख़्ख़र उस को होना है 'नदीम' वो ख़लाओं का मकीं है नूर की रफ़्तार मैं Share on: