मैं उसे सुब्ह न जानूँ जो तिरे संग नहीं By Sher << बे-साया न हो जाए कहीं घर ... इक न इक दिन तो मुसख़्ख़र ... >> मैं उसे सुब्ह न जानूँ जो तिरे संग नहीं मैं उसे शाम न मानूँ कि जो तेरे बिन है Share on: