जाए है जी नजात के ग़म में By Sher << जम गया ख़ूँ कफ़-ए-क़ातिल ... जब कि पहलू से यार उठता है >> जाए है जी नजात के ग़म में ऐसी जन्नत गई जहन्नम में Share on: