जम गया ख़ूँ कफ़-ए-क़ातिल पे तिरा 'मीर' ज़ि-बस By Sher << जौर क्या क्या जफ़ाएँ क्या... जाए है जी नजात के ग़म में >> जम गया ख़ूँ कफ़-ए-क़ातिल पे तिरा 'मीर' ज़ि-बस उन ने रो रो दिया कल हाथ को धोते धोते Share on: