मिरी शाइ'री में छुप कर कोई और बोलता है By Sher << ग़म ओ नशात की हर रहगुज़र ... किसे मिलती नजात 'आज़ा... >> मिरी शाइ'री में छुप कर कोई और बोलता है सर-ए-आइना जो देखूँ तो वो शख़्स दूसरा है Share on: