झूट भी सच की तरह बोलना आता है उसे By Sher << ख़लिश-ए-इश्क़ से बचपन है ... ख़ुश-गुमाँ हर आसरा बे-आसर... >> झूट भी सच की तरह बोलना आता है उसे कोई लुक्नत भी कहीं पर नहीं आने देता Share on: