ख़लिश-ए-इश्क़ से बचपन है दिल एक तरफ़ By Sher << जब भी झुक कर मिलता हूँ मै... झूट भी सच की तरह बोलना आत... >> ख़लिश-ए-इश्क़ से बचपन है दिल एक तरफ़ इस पे या-रब ग़म-ए-हस्ती भी उठाना है हमें Share on: