जी जलाएगा ये आवारा ओ बे-दर होना By Sher << अब अपने-आप को ख़ुद ढूँढता... ऐसी ग़ुर्बत को ख़ुदा ग़ार... >> जी जलाएगा ये आवारा ओ बे-दर होना दिल दुखाएँगे ये महके हुए घर अब के बरस Share on: