जिन की हसरत में दिल-ए-रुस्वा ने ग़म खाए बहुत By Sher << दहकी है आग दिल में पड़े इ... ये दिल है दिल इसे सीने मे... >> जिन की हसरत में दिल-ए-रुस्वा ने ग़म खाए बहुत संग हम पर इन दरीचों ने ही बरसाए बहुत Share on: