जिस बादल ने सुख बरसाया जिस छाँव में प्रीत मिली By Sher << मैं ने इतने ग़ौर से देखा ... औरत हूँ मगर सूरत-ए-कोहसार... >> जिस बादल ने सुख बरसाया जिस छाँव में प्रीत मिली आँखें खोल के देखा तो वो सब मौसम लम्हाती थे Share on: