औरत हूँ मगर सूरत-ए-कोहसार खड़ी हूँ By Sher << जिस बादल ने सुख बरसाया जि... अल्फ़ाज़ न आवाज़ न हमराज़... >> औरत हूँ मगर सूरत-ए-कोहसार खड़ी हूँ इक सच के तहफ़्फ़ुज़ के लिए सब से लड़ी हूँ Share on: