जिस ज़ख़्म की हो सकती हो तदबीर रफ़ू की By Sher << तलाश करनी थी इक रोज़ अपनी... तरीक़ याद है पहले से दिल ... >> जिस ज़ख़्म की हो सकती हो तदबीर रफ़ू की लिख दीजियो या रब उसे क़िस्मत में अदू की Share on: