जिस की अदा अदा पे हो इंसानियत को नाज़ By इंसान, Sher << एक दर्द-ए-हस्ती ने उम्र भ... कम-उम्री में सुनते हैं >> जिस की अदा अदा पे हो इंसानियत को नाज़ मिल जाए काश ऐसा बशर ढूँडते हैं हम Share on: