जिस की साँसों से महकते थे दर-ओ-बाम तिरे By Sher << जौर को जौर भी अब क्या कहि... जब गुज़रती है शब-ए-हिज्र ... >> जिस की साँसों से महकते थे दर-ओ-बाम तिरे ऐ मकाँ बोल कहाँ अब वो मकीं रहता है Share on: