जिस नूर के बक्के को मह-ओ-ख़ुर ने न देखा By Sher << जो आज चढ़ाते हैं हमें अर्... जल्दी तलब-ए-बोसा पे कीजे ... >> जिस नूर के बक्के को मह-ओ-ख़ुर ने न देखा कम-बख़्त ये दिल लोटे है उस पर्दा-नशीं पर Share on: