जिस रोज़ मैं गिनता हूँ तिरे आने की घड़ियाँ By Sher << मुझे आ गया यक़ीं सा कि यह... मिरे बदन में खुले जंगलों ... >> जिस रोज़ मैं गिनता हूँ तिरे आने की घड़ियाँ सूरज को बना देती है सोने की घड़ी बात Share on: