जिस सर को ग़ुरूर आज है याँ ताज-वरी का By Sher << मेरे रोने की हक़ीक़त जिस ... इस दश्त में ऐ सैल सँभल ही... >> जिस सर को ग़ुरूर आज है याँ ताज-वरी का कल उस पे यहीं शोर है फिर नौहागरी का Share on: