जिस्म क्या रूह की है जौलाँ-गाह By Sher << जहाँ में थी बस इक अफ़्वाह... उन्हीं के गीत ज़माने में ... >> जिस्म क्या रूह की है जौलाँ-गाह रूह क्या इक सवार-ए-पा-ब-रकाब Share on: