उन्हीं के गीत ज़माने में गाए जाएँगे By Sher << जिस्म क्या रूह की है जौला... ज़िंदगी जब्र-ए-मुसलसल की ... >> उन्हीं के गीत ज़माने में गाए जाएँगे जो चोट खाएँगे और मुस्कुराए जाएँगे Share on: