जितने हुस्न-आबाद में पहोंचे होश-ओ-ख़िरद खो कर पहोंचे By Sher << बात उल्टी वो समझते हैं जो... लहू से मैं ने लिखा था जो ... >> जितने हुस्न-आबाद में पहोंचे होश-ओ-ख़िरद खो कर पहोंचे माल भी तो उतने का नहीं अब जितना कुछ महसूल पड़ा Share on: