लहू से मैं ने लिखा था जो कुछ दीवार-ए-ज़िंदाँ पर By Sher << जितने हुस्न-आबाद में पहों... झूट पर उस के भरोसा कर लिय... >> लहू से मैं ने लिखा था जो कुछ दीवार-ए-ज़िंदाँ पर वो बिजली बन के चमका दामन-ए-सुब्ह-ए-गुलिस्ताँ पर Share on: