जो बिजलियों की पनाहों में तुम बना सकते By Sher << पागल वहशी तन्हा तन्हा उजड... फ़र्ज़ बरसों की इबादत का ... >> जो बिजलियों की पनाहों में तुम बना सकते तो इस क़दर न तुम्हें ख़ौफ़-ए-आशियाँ होता Share on: