जो ग़ज़ल आज तिरे हिज्र में लिक्खी है वो कल By हिज्र, Sher << मोहब्बत में वफ़ा की हद जफ... हम से अच्छा नहीं मिलने का... >> जो ग़ज़ल आज तिरे हिज्र में लिक्खी है वो कल क्या ख़बर अहल-ए-मोहब्बत का तराना बन जाए Share on: