जो न कट सका वो निशान था किसी ज़ख़्म का By Sher << चराग़ क़ौम का रौशन है अर्... बे-समर पेड़ों को चूमेंगे ... >> जो न कट सका वो निशान था किसी ज़ख़्म का जो न मिल सका वो सराब था कोई ख़्वाब था Share on: