जो उन पे गुज़रती है किस ने उसे जाना है By Sher << क़ौम के ग़म में डिनर खाते... ये हू का वक़्त ये जंगल घन... >> जो उन पे गुज़रती है किस ने उसे जाना है अपनी ही मुसीबत है अपना ही फ़साना है Share on: