जोबन पर इन दिनों है बहार-ए-नशात-ए-बाग़ By बसंत, Sher << तू ने लगाई अब की ये क्या ... पैग़ाम-ए-लुत्फ़-ए-ख़ास सु... >> जोबन पर इन दिनों है बहार-ए-नशात-ए-बाग़ लेता है फूल भर के यहाँ झोलियाँ बसंत Share on: