जुदा किसी से किसी का ग़रज़ हबीब न हो By Sher << जो उलझी थी कभी आदम के हाथ... वो जो शाएरी का सबब हुआ वो... >> जुदा किसी से किसी का ग़रज़ हबीब न हो ये दाग़ वो है कि दुश्मन को भी नसीब न हो Share on: