जो उलझी थी कभी आदम के हाथों By Sher << तेरे चेहरे पे उजाले की सख... जुदा किसी से किसी का ग़रज... >> जो उलझी थी कभी आदम के हाथों वो गुत्थी आज तक सुलझा रहा हूँ Share on: