जुरअत कहाँ कि अपना पता तक बता सकूँ By Sher << कम नहीं ऐ दिल-ए-बेताब मता... जो मेरे दश्त-ए-जुनूँ में ... >> जुरअत कहाँ कि अपना पता तक बता सकूँ जीता हूँ अपने मुल्क में औरों के नाम से Share on: