क्यूँ हाथ दिल से लगाते हो बार बार अपना By Sher << लफ़्ज़ यूँ ख़ामुशी से लड़... 'अब्र' दुनिया को ... >> क्यूँ हाथ दिल से लगाते हो बार बार अपना क्या दिल में अब भी कोई बे-नज़ीर रहता है Share on: