क्यूँ लोगों से मेहर-ओ-वफ़ा की आस लगाए बैठे हो By Sher << कभी तो उन को हमारा ख़याल ... ये भीगी रात ये ठंडा समाँ ... >> क्यूँ लोगों से मेहर-ओ-वफ़ा की आस लगाए बैठे हो झूट के इस मकरूह नगर में लोगों का किरदार कहाँ Share on: