क़बा-ए-ज़र्द पहन कर वो बज़्म में आया By Sher << उरूज-ए-आदम-ए-ख़ाकी से अंज... मंज़िलें गर्द के मानिंद उ... >> क़बा-ए-ज़र्द पहन कर वो बज़्म में आया गुल-ए-हिना को हथेली में थाम कर बैठा Share on: