कभी आग़ोश में रहता कभी रुख़्सारों पर By Sher << कहते हैं जिसे हुस्न वो है... जब फ़स्ल-ए-गुल आती है सदा... >> कभी आग़ोश में रहता कभी रुख़्सारों पर काश ऐ आफ़त-ए-जाँ मैं तिरा आँसू होता Share on: