कभी दुनिया के अंदर कुछ नज़र आता नहीं मुझ को By Sher << यूँ भी मिला है हुस्न का अ... तिरा करम है जो साया-फ़गन ... >> कभी दुनिया के अंदर कुछ नज़र आता नहीं मुझ को कभी अपने ही अंदर एक दुनिया देख लेती हूँ Share on: