कभी लौट आया मैं दश्त से तो ये शहर भी By Sher << ख़िज़ाँ की ज़द में ही अब ... मसाफ़-ए-जीस्त में वो रन प... >> कभी लौट आया मैं दश्त से तो ये शहर भी उसी गर्द में था अटा हुआ मिरे सामने Share on: