कभी मौज-ए-ख़्वाब में खो गया कभी थक के रेत पे सो गया By Sher << ओढ़ लिया है मैं ने लिबादा... हम को भरम ने बहर-ए-तवहहुम... >> कभी मौज-ए-ख़्वाब में खो गया कभी थक के रेत पे सो गया यूँही उम्र सारी गुज़ार दी फ़क़त आरज़ू-ए-विसाल में Share on: