कभी सोचा है मिट्टी के अलावा By Sher << मैं तुझ को जागती आँखों से... जिगर में ल'अल के आतिश... >> कभी सोचा है मिट्टी के अलावा हमें कहते हैं ये दीवार-ओ-दर क्या Share on: