मैं तुझ को जागती आँखों से छू सकूँ न कभी By Sher << काबे में था सकूँ न कलीसा ... कभी सोचा है मिट्टी के अला... >> मैं तुझ को जागती आँखों से छू सकूँ न कभी मिरी अना का भरम रख ले मेरे ख़्वाब में आ Share on: