क़ब्र में राहत से सोए थे न था महशर का ख़ौफ़ By Sher << हमारे ब'अद उस मर्ग-ए-... गुलों के रूप में बिखरे है... >> क़ब्र में राहत से सोए थे न था महशर का ख़ौफ़ बाज़ आए ऐ मसीहा हम तिरे एजाज़ से Share on: