क़दम मय-ख़ाना में रखना भी कार-ए-पुख़्ता-काराँ है By Sher << सलीक़ा जिन को होता है ग़म... 'नुशूर' आलूदा-ए-इ... >> क़दम मय-ख़ाना में रखना भी कार-ए-पुख़्ता-काराँ है जो पैमाना उठाते हैं वो थर्राया नहीं करते Share on: