काफ़ी है बहुत वुसअ'त-ए-सहरा-ए-ज़माना By Sher << मरने के बअ'द कोई पशेम... दुनिया ने ज़र के वास्ते क... >> काफ़ी है बहुत वुसअ'त-ए-सहरा-ए-ज़माना हम और कहीं ढूँड निकालेंगे ठिकाना Share on: