काफ़िर-ए-इश्क़ हूँ मैं सब से मोहब्बत है मुझे By Sher << तौबा खड़ी है दर पे जो फ़र... तेरे मिज़्गाँ की क्या करू... >> काफ़िर-ए-इश्क़ हूँ मैं सब से मोहब्बत है मुझे एक बुत क्या कि समाया है कलीसा दिल में Share on: