कहाँ तक ऐ वाइज़ो ये झगड़े मज़े उठाने दो बे-ख़ुदी के By Sher << समझा लिया फ़रेब से मुझ को... फ़लक की ख़बर कब है ना-शाइ... >> कहाँ तक ऐ वाइज़ो ये झगड़े मज़े उठाने दो बे-ख़ुदी के जो होश में हूँ तो मैं ये समझूँ हराम क्या है हलाल क्या है Share on: