कहाँ तक वक़्त के दरिया को हम ठहरा हुआ देखें By Sher << वही माबूद है 'नाज़िम&... हम कहाँ और तुम कहाँ जानाँ >> कहाँ तक वक़्त के दरिया को हम ठहरा हुआ देखें ये हसरत है कि इन आँखों से कुछ होता हुआ देखें Share on: