कहीं जो बुलबुल ने देख पाया तो मेरी उस की नहीं बनेगी By Sher << मर गए प्यास के मारे तो उठ... कैसे बे-रहम हैं सय्याद इल... >> कहीं जो बुलबुल ने देख पाया तो मेरी उस की नहीं बनेगी चमन में जाने को रोज़ जाओ मगर गुलों से हँसी न करना Share on: